Small Cap म्यूचुअल फंड: 20% गिरावट – जानें पूरा सच? (Small Cap Mutual Funds: The Explosive 20% Drop & the Promising Outlook)

Small Cap म्यूचुअल फंड: पिछले 6 महीनों में 20% गिरावट – जानें पूरा सच?,

लार्ज कैप में मजबूत रिकवरी

पिछले एक महीने में भारतीय शेयर बाजार में जो ऊर्जा देखी गई है, वह खासकर लार्ज कैप कंपनियों में साफ जमीनी पकड़ बना रही है। निफ्टी 50 और सेंसेक्स जैसे बड़े इंडेक्स ने लगभग 3% से ऊपर की बढ़त दर्ज की है 

यह इशारा है कि बड़े कंपनियों में निवेशकों का भरोसा वापस आ रहा है और उन्होंने जोखिम-सेफ एसेट्स की ओर झुकाव देखा है।

Small Cap में बहुत कम मूवमेंट क्यों? (Slow Movment in Small Cap MF?)

वहीं दूसरी ओर, Small Cap इंडेक्स में उतनी मजबूती नहीं दिखी। उदाहरण के लिए, BSE Small cap Index में पिछले एक महीने में सिर्फ़ करीब 0.93% का बढ़ाव बताया गया है। यह बहुत कम है क्योंकि Small Cap आमतौर पर बड़ी कंपनियों से ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखाता है।

इसका सबसे बड़ा कारण पैसा निकालना (profit booking) है।

बड़ी संस्थागत निवेशक जैसे FII और डीआई (Domestic Investors) Small Cap में अपना मुनाफा बुक कर रहे हैं। यह “पैसे बाहर आने” की प्रक्रिया Small Cap के रिटर्न को दबा रही है।

साथ ही, लिक्विडिटी की समस्या भी है — क्योंकि छोटे कंपनियों के शेयर उतने तरल (liquid) नहीं होते जितने बड़े कंपनियों के, इसलिए जब निवेशक बड़े पैमाने पर बाहर निकलते हैं, तो मामले और जटिल हो जाते हैं।

इसके अलावा, कुछ Small Cap कंपनियों में उच्च वैल्यूएशन (high P/E) देखी जा रही है। मतलब, उनके शेयर की कीमत बहुत अधिक आंकी जा रही है, और निवेशक जोखिम को देखते हुए सतर्क हैं।

मार्केट में नकारात्मक खबरें जैसे आर्थिक अनिश्चितता या बढ़ता रिस्क तुरंत Small Cap शेयरों को प्रभावित करती हैं क्योंकि ये कंपनियां बड़े कैप की तुलना में कम सुरक्षित ज़मीन पर होती हैं।

ये कुछ मुख्य कारण हैं कि पिछले महीने Small Cap म्यूचुअल फंड में उतनी तेजी क्यों नहीं देखी गई, जबकि लार्ज कैप ने तेजी से रिकवर किया।

 स्मॉल कैप बनाम लार्ज कैप: रिटर्न का अंतर

Nifty और Sensex का रिटर्न

पिछले कुछ समय में लार्ज कैप (बड़ी कंपनियों) में निवेशकों का विश्वास फिर लौट रहा है। उदाहरण के लिए, निफ्टी 50 ने अक्तूबर 2025 में लगभग 4.51% का मासिक रिटर्न दर्ज किया।

इसी तरह, BSE Sensex भी इसी अवधि में मजबूत मूवमेंट दिखा, जो यह संकेत देता है कि बड़े कंपनियों में उम्मीद और मेहनत दोनों चमक रहे हैं। 

यह रुझान इसलिए भी हैरान करने वाला नहीं है क्योंकि बड़े ब्लू-चिप स्टॉक्स में लिक्विडिटी ज्यादा होती है, और इन पर बड़े निवेशक कम जोखिम समझकर भरोसा करते हैं।

BSE स्मॉल कैप इंडेक्स का कम रिटर्न (Low Return in Small Cap)

वहीं अगर हम Small Cap की बात करें, तो कहानी थोड़ी अलग है। BSE Small Cap इंडेक्स के ताज़ा डेटा के मुताबिक, यह इंडेक्स अभी ज्यों का त्यों है और अपेक्षित रिटर्न नहीं दे पा रहा है। BSE SmallCap की YTD (Year-to-Date) परफॉर्मेंस ने लगभग –4.13% की गिरावट दिखाई है। 

यह स्पष्ट करता है कि छोटी कंपनियों में अभी उतनी तेजी नहीं आई जितनी बड़े कॉर्पोरेट्स में हुई है।

इसके कई कारण हैं:

  • उच्च वोलैटिलिटी: स्मॉल कैप कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं, इसलिए कभी-कभी निवेशक जल्दी मुनाफा बुक कर लेते हैं।
  • लिक्विडिटी की समस्या: छोटी कंपनियों के शेयर उतने तरल नहीं होते, जिससे बड़ी बिकवाली में दिक्कत आती है।
  • जोखिम-सावधानी: कुछ निवेशक जोखिम को देखते हुए अपनी पोर्टफोलियो में स्मॉल कैप की हिस्सेदारी कम कर बड़े, सुरक्षित स्टॉक्स की ओर रुख करते हैं।

यह रिटर्न का अंतर साफ दिखाता है कि स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड और इंडेक्स अभी उतनी गति से नहीं बढ़ रहे जितनी लार्ज कैप। यदि आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं और जोखिम सह सकते हैं, तो Small Cap में हिस्सेदारी रखकर भविष्य में संभव बड़े रिटर्न की अपेक्षा कर सकते हैं।

लेकिन शॉर्ट-टर्म फोकस में, लार्ज कैप अभी अधिक स्थिर और भरोसेमंद नज़र आता है।

 स्मॉल कैप में कम रिटर्न के मुख्य कारण

1. निवेशकों की प्रॉफिट बुकिंग

स्मॉल कैप में अक्सर तेज़ी वाली रन आती है, और कई निवेशक उसी समय मुनाफा निकाल लेते हैं। जब वे प्रॉफिट बुकिंग करते हैं, तो स्मॉल कैप की कीमतों पर दबाव बनता है और रिटर्न घट जाता है।

यानि, तेजी के बाद वापस उतर जाना आम है क्योंकि लोग मुनाफ़ा सुरक्षित करना चाहते हैं।

2. FII और रिटेल इन्वेस्टर्स की सेलिंग

न सिर्फ़ रिटेल निवेशक, बल्कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भी स्मॉल कैप से पैसा निकाल रहे हैं।

यह एक बड़ा कारण है क्योंकि जब बड़े निवेशक निकलते हैं, तो बाजार में बिकवाली बढ़ती है और कीमतें गिर सकती हैं।

इस तरह से निरंतर बिकवाली स्मॉल कैप के रिटर्न को कम करती है।

3. लिक्विडिटी की समस्या

Small Cap म्यूचुअल फंड में लिक्विडिटी रिस्क ज़्यादा होता है। SEBI की स्टेस टेस्ट रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि कुछ Small Cap फंडों को 50% पोर्टफोलियो को तरल करने (liquidate) में 25 से 70 दिन तक लग सकते हैं। 

Business Today की रिपोर्ट कहती है कि MF इन्वेस्टर्स को संकट के समय 50% Small Cap पोर्टफोलियो निकालने में 25-57 दिन लग सकते हैं। 

यानी, जब ज़्यादा लोग एक साथ पैसा निकालने का सोचें, तो फंड मैनेजर के लिए समय पर सब बेच पाना मुश्किल हो जाता है, और रिडेम्प्शन में देरी हो सकती है।

4. स्मॉल कैप में हाई वैल्यूएशन

कुछ स्मॉल कैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन बहुत ऊँची हो चुकी है। बहुत अधिक P/E के कारण निवेशक चिंतित रहते हैं कि क्या उन्होंने ओवरपैइड किया है।

जब वैल्यूएशन ज़्यादा होती है, तो निवेशक जोखिम-सावधान हो जाते हैं और धीरे-धीरे बिकवाली करते हैं — जिससे रिटर्न में कमी आती है।

Forbes India में यह बात भी उठाई गई है कि बहुत अधिक वैल्यूएशन स्मॉल कैप में तनाव पैदा कर सकती है।

5. मार्केट में डर और जोखिम बढ़ना

Small Cap कंपनियां आमतौर पर बड़े और स्थापित कंपनियों की तुलना में ज़्यादा अस्थिर होती हैं।

जब मार्केट में अनिश्चितता हो — जैसे आर्थिक जोखिम, ब्याज दरें बढ़ना या वैश्विक चिंताएँ — तो निवेशक स्मॉल कैप क्षेत्रों से जल्दी निकलना पसंद करते हैं।

यह “डर” भी एक बड़ा कारण है कि निवेशक मुनाफा बुक कर लेते हैं और आगे का बढ़ता रिटर्न सीमित रह जाता है।

ऐसे समय में जब स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड रिटर्न कम दे रहे हों, तो यह समझना ज़रूरी है कि यह सिर्फ “खराब प्रदर्शन” नहीं, बल्कि कई व्यवहारिक और बाजार-गत कारकों का मिश्रण है।

यदि आपका निवेश दर्शन लंबी अवधि का है और आप जोखिम सह सकते हैं, तो Small Cap में धैर्य रखना मायने रख सकता है। लेकिन शॉर्ट-टर्म में सावधानी ज़रूर बरतें — क्योंकि ये मूल कारण हमेशा काम करते हैं।

AMC द्वारा लार्ज कैप में एलोकेशन बढ़ाना

SEBI के नए लिक्विडिटी नियम

SEBI ने हाल ही में स्मॉल कैप और मिड-कैप इक्विटी स्कीम्स से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए AMCs को एक नए स्टैंडर्ड के अनुरूप स्टाइल टेस्ट (stress test) और लिक्विडिटी, वोलैटिलिटी, वैल्यूएशन जैसी जानकारी खुलकर दिखाने का निर्देश दिया है।

AMFI और SEBI मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि निवेशकों को यह पता चले कि अगर अचानक बहुत सारा पैसा रिडीमेशन के लिए आए, तो स्कीम कितनी जल्दी (या धीमी) लिक्विड हो सकती है।

इस नियम के चलते कई AMCs ने जोखिम कम करने के लिए अपनी पोर्टफोलियो रणनीति में बदलाव शुरू कर दिया है — और यही वह बिंदु है जहां लार्ज कैप में एलोकेशन बढ़ाने का ट्रेंड आया है।

स्मॉल कैप से पैसा निकालकर लार्ज कैप में निवेश (Investment in Large Cap  Vs Small Cap)

कई AMCs अब स्मॉल कैप स्कीम में से कुछ हिस्से को निकालकर उन्हें लार्ज कैप स्टॉक्स में डाल रहे हैं। इसका कारण यह है कि बड़े स्टॉक्स में लिक्विडिटी बेहतर होती है और उन्हें तेजी से बेचने में दिक्कत कम होती है, खासकर जब निवेशकों को बाहर निकलना हो।

उदाहरण स्वरूप, SBI Smallcap Fund के CIO के अनुसार, अगर redemption को “available liquidity” के हिसाब से मैनेज किया जाए (कैश, futures unwind और फिर लार्ज-कैप हिस्से को बेचकर), तो 25% रिडीम्शन सिर्फ 4 दिन में पूरी की जा सकती है। 

यह एक साफ इशारा है कि AMCs लिक्विडिटी प्रेशर को देखते हुए अपनी रणनीति को लार्ज-कैप की ओर मोड़ रहे हैं।

लार्ज कैप क्यों तेजी से बढ़ा? (Why Large Cap go High?)

जब AMCs बड़ी कंपनियों (large cap) में अपना एलोकेशन बढ़ाते हैं, तो उन स्टॉक्स की मांग बढ़ जाती है। इससे लार्ज कैप इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50) को बूस्ट मिलता है और कीमतें ऊपर जाती हैं।

इसके अलावा, बड़े निवेशक Safe Assets की ओर अधिक आकर्षित होते हैं, खासकर अनिश्चितता के समय — यही कारण है कि लार्ज कैप में तेजी और मजबूती देखी जा रही है।

यह बात हमें यह भी समझाती है कि क्यों स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड का मूवमेंट पिछले समय में सीमित रहा — क्योंकि AMCs जोखिम-प्रबंधन की दृष्टि से कुछ हिस्से को बड़े, स्थिर स्टॉक्स में ले रहे हैं।

यदि आप Small Cap म्यूचुअल फंड में लंबे समय से निवेश कर रहे हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं कि सब जरुरी नुकसान हो — AMCs यह कदम इसलिए उठा रही हैं कि वे जोखिम से बचें और निवेशकों के लिए लिक्विडिटी सुनिश्चित कर सकें।

यदि आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं, तो यह एक सही समय हो सकता है यह सोचने का कि आपकी स्मॉल कैप हिस्सेदारी कितनी सुरक्षित है और क्या उसे थोड़ा समायोजन की जरूरत है।

शॉर्ट टर्म बनाम लॉन्ग टर्म: किसे फोकस करें? (Focus on Short Term Vs Long Term?)

1 महीने के मूवमेंट पर निर्भर न रहें

जब आप सिर्फ़ 1 महीने के रिटर्न देखते हैं, तो स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड का उतार-चढ़ाव आपको डराने वाला लग सकता है। लेकिन ये याद रखना बहुत ज़रूरी है कि Small Cap शेयरों में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) बहुत अधिक होती है।

अचानक मुनाफा बुकिंग या बिकवाली की वजह से छोटे समय में रिटर्न नीचे-ऊपर हो सकते हैं। इसलिए यदि आप केवल एक-महीने के मूवमेंट को देखकर निर्णय लेंगे तो ग़लत दिशा में जा सकते हैं।

निवेशकों को चाहिए कि वे छोटे समय के झटकों को देखकर घबराएं नहीं, खासकर स्मॉल कैप में, क्योंकि यह एक लॉटरी नहीं है, बल्कि एक लंबी दौड़ है।

10 साल की अवधि में स्मॉल कैप क्यों बेहतर? (Why Small Cap Best Option for Long Term?)

अगर आप 10 साल या उससे ज़्यादा समय के लिए निवेश करने की सोचते हैं, तो स्मॉल कैप में निवेश करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है:

कई Small Cap म्यूचुअल फंड्स ने पिछले दस सालों में 17% से 22% सालाना (CAGR) तक रिटर्न दिए हैं। उदाहरण के लिए, Nippon India Small Cap Fund का 10-वर्षीय सालाना रिटर्न 22.79% रहा है। 

Economic Times की एक रिपोर्ट कहती है कि Small Cap फंड्स का औसत 10 साल का रिटर्न 17.12% रहा है।

अगर आप SIP (Systematic Investment Plan) के जरिये लंबे समय में निवेश करते हैं, तो Compounding का जादू काम करता है — हर महीने थोड़ा-थोड़ा जोड़ने से, 10 साल में आपका पोर्टफोलियो काफी बड़ा हो सकता है।

लॉन्ग टर्म में, Small Cap कंपनियों की ग्रोथ पोटेंशियल ज्यादा होती है क्योंकि ये कंपनियां अभी विकास के पहले चरण में होती हैं। जैसे-जैसे ये कंपनियां बढ़ती हैं, उनका बिजनेस बढ़ सकता है और शेयर वैल्यू भी बढ़ सकती है।

अगर 8-10 साल पहले स्मॉल कैप में थोड़ा और निवेश किया होता, तो आज मेरा पोर्टफोलियो कितना बड़ा होता!

लेकिन यह भी सच है कि डर के समय में बाहर निकलना आसान होता है।

इसलिए, अगर आप स्मॉल कैप में लॉन्ग-टर्म निवेश की सोच रहे हैं, तो थोड़ा धैर्य रखें, बाजार की उतार-चढ़ाव को स्वीकार करें, और अपनी निवेश योजना को समय के साथ देखें।

आगे क्या उम्मीद की जा सकती है? (Future Outlook for Small Cap?)

आने वाले समय में संभावित सुधार

अगर हम आगे की बात करें, तो यह संभावना है कि Small Cap सेक्टर में सुधार देखना शुरू हो।

वॉल्यूएशन (मूल्यांकन) अब पहले की तुलना में थोड़ा बेहतर संतुलन पर आ सकते हैं क्योंकि कई निवेशक पिछले नुकसान के बाद फिर से भरोसे के साथ वापस Small Cap में लौट रहे हैं।

इसके अलावा, SEBI द्वारा लिक्विडिटी नियमों पर जोर और AMCs की रणनीति बदलाव यह संकेत देते हैं कि भविष्य में Small Cap स्कीम्स में व्यवस्थित निवेशकों की सूझ-बूझ से एंट्री बढ़ सकती है।

पिछले 6 महीनों में Small Cap का मजबूत रिटर्न

हालांकि कुछ रिपोर्टों में पिछले छह महीनों में Small Cap म्यूचुअल फंड्स में गिरावट की बात कही गई है — उदाहरण के लिए, ET की एक रिपोर्ट बताती है कि कई Small Cap स्कीम्स ने लगभग 20% तक का नुकसान झेला है। 

लेकिन दूसरी ओर, मार्केट के कुछ कोनों में रिलीफ और रिकवरी भी दिखाई दे रही है: BSE Smallcap इंडेक्स ने अप्रैल की निचली प्वाइंट से लगभग 35% की रैली बनाई है। 

यह फर्क इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि नुकसान वाली पोजीशन पर एंट्री करने का अवसर भी बन सकता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो धैर्य रख सकते हैं।

लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए पॉजिटिव संकेत (Positive Indicators for Long-Term Investors)

लॉन्ग-टर्म (5–10 साल या उससे ज्यादा) निवेशकों के लिए Small Cap में अभी भी संभावना बहुत मजबूत है। वो निवेशक जिन्होंने पिछले गिरावट के समय में SIP या Allotment खरीदारी जारी रखी होगी, उन्हें भविष्य में अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना है।

यह पूरा परिदृश्य इस बात की याद दिलाता है कि Small Cap केवल जोखिम वाला बल्कि विकास-उन्मुख भी होता है। यदि आप धैर्य रखते हैं और मार्केट की वोलैटिलिटी से घबराते नहीं हैं, तो यह सही समय हो सकता है कि आप अपनी Small Cap हिस्सेदारी की समीक्षा करें और लंबी अवधि के फायदे के लिए उसे बनाए रखें या थोड़ा बढ़ाएँ।

बाजार में उतार-चढ़ाव, खराब रिटर्न की खबरें, और अनिश्चितता — लेकिन याद रखें: Small Cap में धैर्य ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।

अगर आपने लॉन्ग-टर्म का लक्ष्य तय किया है, तो यह समय हो सकता है कि आप अपनी रणनीति को थोड़ा दोबारा देखें, अपनी निवेश हिस्सेदारी (asset allocation) को संतुलित करें और भविष्य की संभावनाओं पर भरोसा रखें।

निष्कर्ष

Small Cap में उतार–चढ़ाव सामान्य

अगर पूरे ब्लॉग को एक लाइन में समझना हो तो बात बहुत सरल है — Small Cap में उतार-चढ़ाव बिल्कुल सामान्य है। यह कैटेगरी ही ऐसी होती है जहाँ छोटी–छोटी खबरें, लिक्विडिटी की कमी, निवेशकों की प्रॉफिट बुकिंग और मार्केट का डर, रिटर्न को जल्दी ऊपर–नीचे कर देते हैं

पिछले कुछ महीनों में जिस तरह FII और रिटेल सेलिंग बढ़ी, और AMCs ने लार्ज कैप में अपना एलोकेशन ज्यादा किया, उसका सीधा असर Small Cap फंड्स पर दिखा।

लेकिन यह भी सच है कि यही उतार-चढ़ाव आगे चलकर बड़े रिटर्न का कारण भी बनता है।

डेटा बताता है कि 5–10 साल की अवधि में कई Small Cap फंड्स ने 17%–22% CAGR तक रिटर्न दिए हैं — जो दिखाता है कि धैर्य रखने वाले निवेशक अक्सर आगे चलकर अच्छे रिटर्न देखते हैं।

सही एलोकेशन और समय ही सफलता की कुंजी (Right Allocation and Timing Are the Keys to Success)

निवेश की दुनिया में सिर्फ सही फंड चुनना काफी नहीं होता, सही समय और सही एलोकेशन ही लंबे समय में सफलता की असली कुंजी है।

अगर आप Small Cap में निवेश कर रहे हैं, तो आपको तीन बातों को समझना जरूरी है:

1. यह शॉर्ट-टर्म गेम नहीं है (Not a Short Term Game)

एक–दो महीने का गिरना या धीमा रिटर्न आपको परेशान कर सकता है, लेकिन यह कैटेगरी लंबी अवधि में ही अपनी असली क्षमता दिखाती है।

2. पोर्टफोलियो में सही बैलेंस रखें।

सिर्फ Small Cap में पूरा पैसा लगाना जोखिम बढ़ा देता है। लार्ज, मिड और Small Cap का संतुलित मिश्रण आपकी यात्रा को स्थिर बनाता है।

3. डर में बेचने से बचें।

मार्केट में जब माहौल खराब होता है, वही समय वास्तविक निवेशकों के लिए अवसर लेकर आता है। छोटे समय का शोर आपके बड़े लक्ष्य को प्रभावित न करे।

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