ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश में भ्रम और सच्चाई क्या है? (ULIPs and Mutual Fund what is Doubt and Truth?)
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश में भ्रम और सच्चाई क्या है? (ULIPs and Mutual Fund what is Doubt and Truth?)
क्या ULIPs में निवेश से हमेशा गारंटीड रिटर्न मिलता है?
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश यूनिट में लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIPs) को अक्सर गारंटीड रिटर्न देने वाले निवेश विकल्प के रूप में पेश किया जाता है।
लेकिन क्या वास्तव में ULIPs में निवेश से हमेशा गारंटीड रिटर्न मिलता है? यह एक बड़ा मिथक है।
ULIPs में निवेश करते समय निवेशक अक्सर यह मान लेते हैं कि यह एक सुरक्षित विकल्प है और इसमें मिलने वाला रिटर्न तय होता है।
वास्तविकता: रिटर्न बाजार प्रदर्शन पर निर्भर करता है
ULIPs में मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से उन फंड्स के प्रदर्शन पर निर्भर करता है जिनमें निवेश किया गया है।
उदाहरण के लिए, यदि आपका ULIP फंड निफ्टी 50 इंडेक्स फंड या निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स में निवेश करता है, तो इसका प्रदर्शन इन इंडेक्स के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs का मुख्य आकर्षण यह है कि यह एक ही उत्पाद में बीमा और निवेश का संयोजन प्रदान करता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि ULIPs के तहत निवेश किया गया पैसा इक्विटी फंड्स, डेट फंड्स या बैलेंस्ड फंड्स जैसे विकल्पों में लगाया जाता है।
उदाहरण के लिए, SBI ULIP Plan या Tata AIA ULIP Plan जैसे उत्पाद अपने निवेशकों को अलग-अलग फंड्स में निवेश का विकल्प देते हैं।
लेकिन, इक्विटी-आधारित ULIPs, जैसे कि Motilal Oswal Midcap Fund Direct Growth या ICICI Flexi Cap Fund Growth, शेयर बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं।
शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति में इनका रिटर्न कम हो सकता है, जबकि बाजार में तेजी की स्थिति में उच्च रिटर्न की संभावना होती है।
ULIPs में गारंटी का भ्रम
कुछ ULIPs, जैसे कि LIC ULIP Plan, गारंटीड रिटर्न का वादा कर सकते हैं, लेकिन यह रिटर्न केवल उन उत्पादों के लिए होता है जहां निवेश का बड़ा हिस्सा डेट-आधारित फंड्स में होता है।
डेट फंड्स, जैसे कि HDFC Gilt Fund या SBI Magnum Gilt Fund, अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न प्रदान कर सकते हैं, लेकिन यह रिटर्न भी पूरी तरह से बाजार की ब्याज दरों पर निर्भर करता है।
ULIPs का लचीलापन
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs का एक प्रमुख लाभ यह है कि ये निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर बदलने का विकल्प देते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपको लगता है कि बाजार अस्थिर है, तो आप अपने निवेश को इक्विटी से डेट फंड्स में स्विच कर सकते हैं।
कई ULIPs, जैसे कि Max Life ULIP Plan और Aditya Birla ULIP, निवेशकों को यह सुविधा प्रदान करते हैं।
उदाहरण
मान लीजिए, एक निवेशक ने Axis Blue Chip Fund जैसे इक्विटी फंड में अपने ULIP का पैसा लगाया है। यदि निफ्टी 50 या सेंसेक्स इंडेक्स में गिरावट आती है, तो उनके रिटर्न पर भी असर पड़ेगा।
दूसरी ओर, यदि निवेशक ने अपने ULIP को Debt Mutual Funds, जैसे कि Franklin India Fund, में स्विच किया होता, तो उन्हें स्थिर रिटर्न मिल सकता था।
ULIPs में निवेश करते समय ध्यान देने योग्य बातें
- ULIP Charges: ULIPs के साथ जुड़े चार्जेस, जैसे प्रीमियम अलोकेशन चार्ज, फंड मैनेजमेंट फीस, और मॉर्टैलिटी चार्ज, रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
- निवेश अवधि: ULIPs का लाभ तभी मिलता है जब आप लंबी अवधि तक निवेश करें।
- जोखिम प्रोफ़ाइल: अपने जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार फंड चुनें।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs में गारंटीड रिटर्न का कोई पक्का वादा नहीं होता। यह एक मिथक है कि ULIPs में हमेशा फिक्स्ड रिटर्न मिलता है।
ULIPs में निवेश करने से पहले यह समझना जरूरी है कि यह उत्पाद पूरी तरह बाजार की अस्थिरता पर निर्भर है।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में यदि आप गारंटीड रिटर्न चाहते हैं, तो Fixed Income Plans या Debt Funds जैसे विकल्पों पर विचार करना बेहतर हो सकता है।
म्यूचुअल फंड्स केवल अमीरों के लिए हैं
आम धारणा: म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए बड़ा बजट चाहिए।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में भारत में म्यूचुअल फंड्स को लेकर एक आम धारणा यह है कि यह केवल अमीर लोगों के लिए होता है।
लोग सोचते हैं कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश शुरू करने के लिए लाखों रुपये चाहिए। ऐसे में, छोटे बजट वाले निवेशक, खासकर मध्यम वर्ग और नवागंतुक, इन योजनाओं से दूरी बना लेते हैं। यह धारणा पूरी तरह से गलत है।
म्यूचुअल फंड्स ने निवेशकों के लिए इतने लचीले विकल्प पेश किए हैं कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसका बजट छोटा हो या बड़ा, निवेश कर सकता है।
वास्तविकता: SIP के जरिए ₹500 से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।
आज म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना बेहद सरल और सुलभ हो गया है। SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए आप मात्र ₹500 से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, SBI Mutual Funds और Nippon India Mutual Fund जैसे फंड्स छोटे निवेशकों के लिए SIP विकल्प प्रदान करते हैं।
SIP न केवल छोटे निवेशकों को सुविधा देता है बल्कि उनके निवेश में अनुशासन भी लाता है।
उदाहरण
मान लीजिए, आप ₹500 प्रति माह से SIP शुरू करते हैं और इसे Axis Blue Chip Fund या HDFC Best Mutual Fund जैसे फंड्स में लगाते हैं। यदि ये फंड औसतन 12% वार्षिक रिटर्न देते हैं, तो 10 साल में यह छोटा निवेश भी बड़ी राशि में बदल सकता है।
मिथक बनाम सच्चाई
छोटे निवेशकों के लिए विकल्प
म्यूचुअल फंड्स, जैसे कि Motilal Oswal Flexi Cap Fund Direct Growth और Parag Parikh Mutual Fund, ऐसे फंड्स पेश करते हैं जो हर प्रकार के निवेशकों के लिए अनुकूल हैं।
कम जोखिम वाले विकल्प
यदि आप अधिक जोखिम नहीं लेना चाहते, तो आप Debt Mutual Funds जैसे विकल्प चुन सकते हैं, जो स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं।
बजट के अनुसार योजना बनाना
Nifty 50 Index Fund या Best Nifty 50 Index Fund जैसे इंडेक्स फंड्स छोटे निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं क्योंकि इनमें कम एक्सपेंस रेशियो होता है।
छोटे निवेश के बड़े फायदे
- लंबी अवधि का लाभ: SIP के जरिए किए गए छोटे निवेश लंबे समय में बड़े लाभ में बदल सकते हैं।
- लचीलापन: आप SIP को कभी भी रोक सकते हैं या बढ़ा सकते हैं।
- Diversification : Kotak Equity Opportunities Fund या SBI Contra Fund Regular Plan Growth जैसे फंड्स में निवेश करके आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं।
उदाहरण
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में एक युवा निवेशक ने Tata Ethical Mutual Fund में SIP के जरिए ₹1,000 प्रति माह का निवेश शुरू किया। 15 साल बाद यह निवेश लगभग ₹5 लाख में बदल गया। यह उदाहरण दर्शाता है कि छोटे निवेश भी लंबे समय में कितने फायदेमंद हो सकते हैं।
आम मिथक तोड़ना
यह जरूरी है कि निवेशक अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार सही फंड का चुनाव करें। Morningstar Mutual Funds, Moneycontrol Mutual Fund, और Mutual Fund Screener जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके आप अपने लिए सही फंड्स का चयन कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड्स केवल अमीरों के लिए नहीं हैं। SIP जैसे टूल्स ने इसे हर वर्ग के निवेशकों के लिए सुलभ बना दिया है। चाहे आप Nippon India ETF Nifty Midcap 150 में निवेश करें या Kotak Arbitrage Fund, आपको बस अपने लक्ष्य और बजट के अनुसार सही योजना चुनने की जरूरत है। म्यूचुअल फंड्स वास्तव में “सही है” हर किसी के लिए।
ULIPs में बीमा और निवेश दोनों का फायदा
मिथक: ULIPs एक बेहतरीन निवेश और बीमा का संयोजन हैं
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में भारत में ULIP (Unit Linked Insurance Plan) को लेकर आम धारणा है कि यह निवेश और बीमा का सबसे अच्छा संयोजन है। इसे उन लोगों के लिए प्रचारित किया गया है, जो एक ही योजना में बीमा सुरक्षा और निवेश की सुविधा चाहते हैं। इस धारणा के कारण कई निवेशक ULIPs को एक आदर्श विकल्प मानते हैं। लेकिन क्या यह सच में इतना फायदेमंद है?
ULIPs जैसे Max Life ULIP Plan, Aditya Birla Wealth Aspire Plan, और Bharti AXA ULIP Plan ने बाजार में बड़ी पहचान बनाई है। इन योजनाओं में बीमा का एक हिस्सा और निवेश का एक हिस्सा होता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप LIC ULIP Plan या SBI ULIP Plan में निवेश करते हैं, तो आपकी प्रीमियम राशि का एक हिस्सा आपके जीवन बीमा कवर के लिए और शेष हिस्सा निवेश के लिए उपयोग होता है।
हालांकि, कई बार निवेशकों को यह समझने में कठिनाई होती है कि बीमा और निवेश को एक साथ जोड़ने के क्या नुकसान हो सकते हैं।
वास्तविकता: बीमा और निवेश को अलग रखना अधिक फायदेमंद है।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs के प्रचार के बावजूद, विशेषज्ञों की राय में बीमा और निवेश को अलग-अलग रखना एक बेहतर रणनीति है। क्यों? क्योंकि ULIPs में उच्च चार्जेस और जटिलताएं होती हैं।
ULIP Charges
ULIPs में फंड मैनेजमेंट चार्ज, मोर्टेलिटी चार्ज, और प्रीमियम अलोकेशन चार्ज शामिल होते हैं। ये चार्जेस आपके कुल रिटर्न को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप Tata AIA ULIP Plan में निवेश करते हैं, तो आपको चार्जेस की एक विस्तृत सूची को समझना होगा।
रिटर्न की अनिश्चितता
ULIPs का रिटर्न बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। ऐसे में, निवेशकों के लिए बेहतर है कि वे निवेश के लिए Mutual Funds जैसे विकल्प चुनें। Best Index Mutual Funds या Best Flexi Cap Funds जैसे विकल्प ULIPs की तुलना में अधिक पारदर्शी और रिटर्न-फोकस्ड होते हैं।
बीमा का उद्देश्य
बीमा का उद्देश्य आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए आप Term Insurance Plan का चयन कर सकते हैं, जो कम प्रीमियम पर उच्च कवरेज प्रदान करता है।
उदाहरण
मान लीजिए, ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में एक निवेशक हर साल ₹50,000 ULIP में निवेश करता है। यदि वह यही राशि Axis Blue Chip Fund या Nippon India Mutual Fund में लगाता है और साथ ही ₹10,000 का टर्म इंश्योरेंस लेता है, तो उसे अधिक पारदर्शी रिटर्न और उच्च बीमा सुरक्षा मिलेगी।
ULIPs बनाम म्यूचुअल फंड्स
लचीलापन (Flexibility)
ULIPs में निवेशकों के पास अधिकतर 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इसके विपरीत, Mutual Funds में SIP के जरिए आप किसी भी समय निवेश शुरू या बंद कर सकते हैं।
कम लागत (Low Cost)
Debt Mutual Funds या Index Funds List जैसे विकल्प कम लागत के साथ स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं।
विविधता (Diversification)
Green Energy Mutual Funds, Shariah Compliant Mutual Funds, और Renewable Energy Mutual Funds जैसे सेक्टरल फंड्स विविध निवेश के लिए बेहतरीन विकल्प हैं।
ULIPs की उपयोगिता
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs को पूरी तरह से नजरअंदाज करना भी सही नहीं है। यदि आप ICICI Signature Plan Returns या LIC ULIP Periodical Disclosure को देखें, तो ये योजनाएं दीर्घकालिक निवेश के लिए उपयोगी हो सकती हैं, खासकर जब आप जोखिम लेने के इच्छुक हों।
ULIPs में बीमा और निवेश का संयोजन होने के बावजूद, बीमा और निवेश को अलग-अलग रखना ज्यादा लाभदायक हो सकता है। Morningstar Mutual Funds, Moneycontrol Mutual Fund, और RupeeVest जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके आप बेहतर निवेश विकल्प चुन सकते हैं। ULIPs का चुनाव करते समय उनके चार्जेस और रिटर्न पर जरूर ध्यान दें। अंततः, सही निर्णय आपके वित्तीय लक्ष्यों और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश जोखिमपूर्ण है – कितना सही ?
मिथक: म्यूचुअल फंड्स से पैसे हमेशा डूबने का खतरा रहता है।
बहुत से निवेशकों का मानना है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना बेहद जोखिमपूर्ण है। ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में यह धारणा इस वजह से बनी है क्योंकि म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन सीधे बाजार की स्थिति से जुड़ा होता है।
उदाहरण के तौर पर, जब निफ्टी 50 इंडेक्स फंड या मिडकैप 150 इंडेक्स में गिरावट आती है, तो निवेशकों को लगता है कि उनके पैसे डूब सकते हैं।
यह भी देखा गया है कि लोग म्यूचुअल फंड्स को शेयर बाजार जैसा ही समझते हैं। खासतौर पर वे लोग, जिन्होंने कभी मोतीलाल ओसवाल मिडकैप फंड या SBI निफ्टी 50 इंडेक्स फंड जैसे योजनाओं में निवेश किया हो, और बाजार में गिरावट का सामना किया हो। ऐसे समय में यह धारणा मजबूत होती है कि म्यूचुअल फंड्स जोखिमपूर्ण हैं।
वास्तविकता: सही योजना और समय सीमा से जोखिम को कम किया जा सकता है।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में, म्यूचुअल फंड्स का सही चुनाव और समय सीमा का निर्धारण आपके निवेश को सुरक्षित बना सकता है। बाजार में विभिन्न प्रकार के फंड्स उपलब्ध हैं, जैसे कि अर्बिट्राज फंड्स, सेक्टरल म्यूचुअल फंड्स, और हाइब्रिड फंड्स, जो विभिन्न जोखिम स्तरों के साथ आते हैं। इन विकल्पों को समझकर निवेश करने से जोखिम को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड का सही चुनाव
यदि आप बाजार में कम जोखिम के साथ निवेश करना चाहते हैं, तो Debt Mutual Funds, SBI Magnum Gilt Fund, या Safe Mutual Funds जैसे विकल्प चुन सकते हैं। वहीं, उच्च जोखिम और अधिक रिटर्न चाहने वालों के लिए Best Mid Cap Mutual Funds और Flexi Cap Funds बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।
समय सीमा का निर्धारण
म्यूचुअल फंड्स में लंबी अवधि के लिए निवेश करने से जोखिम कम हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप SBI Contra Fund Regular Plan Growth में 10 साल तक निवेश करते हैं, तो बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम हो जाता है।
विविधता (Diversification)
अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने से भी जोखिम को कम किया जा सकता है। आप अपने निवेश को Nippon India ETF Nifty Midcap 150, Kotak Arbitrage Fund, और Green Energy Mutual Funds जैसे अलग-अलग फंड्स में बांट सकते हैं।
उदाहरण
मान लीजिए, ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में एक निवेशक ने ₹50,000 को Axis Blue Chip Fund, Kotak Equity Opportunities Fund, और HDFC Multi Asset Fund Direct Growth में विभाजित किया है। यदि किसी एक फंड का प्रदर्शन खराब होता है, तो अन्य फंड्स से होने वाला रिटर्न नुकसान की भरपाई कर सकता है।
टैक्स और लाभ
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से आपको टैक्स लाभ भी मिलता है। SBI ELSS Fund और Aditya Birla Wealth Aspire Plan जैसे योजनाएं सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, Systematic Transfer Plan (STP) का उपयोग करके आप अपने फंड्स को चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित कर सकते हैं, जिससे जोखिम और टैक्सेशन दोनों को प्रबंधित किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश जोखिमपूर्ण जरूर है, लेकिन यह पूरी तरह से पैसे डूबने का कारण नहीं बनता। सही योजना, समय सीमा, और विविधता से जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Moneycontrol Mutual Fund, RupeeVest, और Morningstar Mutual Funds जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके आप फंड्स की गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
याद रखें, बाजार में कोई भी निवेश शत-प्रतिशत सुरक्षित नहीं है। लेकिन म्यूचुअल फंड्स में समझदारी से निवेश करके आप न केवल जोखिम को प्रबंधित कर सकते हैं, बल्कि अपने वित्तीय लक्ष्यों को भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
ULIPs में कोई छुपा हुआ शुल्क नहीं होता ?
मिथक: ULIPs में सभी शुल्क पारदर्शी होते हैं।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में कई निवेशक यह मानते हैं कि यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) में सभी शुल्क पारदर्शी होते हैं और कंपनी इनका खुलासा पूरी तरह से करती है। यह धारणा खासतौर पर उन लोगों के बीच पाई जाती है जो LIC ULIP डिस्क्लोजर, PNB ULIP प्लान, और Tata AIA ULIP प्लान जैसी योजनाओं में निवेश करते हैं।
निवेशक अक्सर विज्ञापनों या कंपनी की पेशकश पर विश्वास कर लेते हैं, जहां उन्हें कम शुल्क और उच्च रिटर्न का वादा किया जाता है। हालांकि, वे यह भूल जाते हैं कि इन योजनाओं में कई प्रकार के शुल्क शामिल होते हैं, जैसे मोर्टेलिटी चार्ज, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क, और फंड मैनेजमेंट शुल्क।
वास्तविकता: प्रबंधन शुल्क, मोर्टेलिटी चार्ज आदि को समझना जरूरी है।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs में निवेश से पहले सभी प्रकार के शुल्कों को समझना बहुत जरूरी है। इसमें कई प्रकार के शुल्क होते हैं, जो लंबे समय में आपके रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
मोर्टेलिटी चार्ज (Mortality Charge)
यह चार्ज आपके बीमा कवर के लिए लिया जाता है। उदाहरण के लिए, Max Life ULIP Plan और Aditya Birla Wealth Aspire Plan में यह शुल्क आपकी आयु, पॉलिसी की राशि और अन्य कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
उदाहरण
35 वर्षीय व्यक्ति के लिए, ₹10 लाख के बीमा कवर पर मोर्टेलिटी चार्ज ₹300 प्रति माह तक हो सकता है।
फंड मैनेजमेंट शुल्क (Fund Management Charges)
यह शुल्क आपके निवेश को प्रबंधित करने के लिए लिया जाता है। ICICI Signature Plan Returns, HDFC Gold Fund Direct Growth, और Franklin India Fund जैसे योजनाओं में यह शुल्क आमतौर पर 1-1.5% होता है।
यह शुल्क आपके कुल फंड वैल्यू पर लगाया जाता है, जिससे लंबे समय में आपके रिटर्न पर असर पड़ता है।
प्रीमियम अलोकेशन शुल्क (Premium Allocation Charges)
यह शुल्क आपके द्वारा जमा की गई राशि से काटा जाता है। Bharti AXA ULIP Plan और Canara HSBC ULIP Plan में यह शुल्क पहले कुछ वर्षों में अधिक हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, पहले साल में यह 6-8% तक हो सकता है।
पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क (Policy Administration Charges)
यह शुल्क पॉलिसी के रखरखाव के लिए लिया जाता है। LIC ULIP डिस्क्लोजर के अनुसार, यह शुल्क ₹50-₹500 प्रति माह तक हो सकता है।
ULIPs में निवेश कैसे करें?
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs में निवेश करते समय इन शुल्कों को ध्यान में रखते हुए एक योजना बनाएं
कम शुल्क वाली योजनाओं का चयन करें
उदाहरण
Tata Ethical Mutual Fund या SBI ULIP Plan जैसे विकल्पों में शुल्क संरचना की जांच करें।
लंबी अवधि के लिए निवेश करें
ULIPs में लंबी अवधि के लिए निवेश करने से शुरुआती वर्षों में लिए गए शुल्क का असर कम हो जाता है।
विभिन्न योजनाओं की तुलना करें
Morningstar Mutual Funds, MoneyControl Mutual Fund, और RupeeVest जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें।
ULIPs में शुल्क को पूरी तरह से पारदर्शी नहीं कहा जा सकता। HDFC ULIP Opportunity Fund, Aditya Birla ULIP, और SBI Hybrid Mutual Fund जैसी योजनाओं में निवेश से पहले सभी शुल्कों का सही आकलन करें।
सही योजना और समझदारी से निवेश करके आप ULIPs से बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान दें, किसी भी योजना में निवेश करने से पहले उसकी LIC ULIP पीरियोडिकल डिस्क्लोजर और अन्य विवरणों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
म्यूचुअल फंड पर टैक्स नहीं लगता ?
मिथक: म्यूचुअल फंड्स टैक्स-फ्री हैं।
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में यह धारणा कई निवेशकों के बीच काफी आम है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। Nifty 50 Index Fund, Kotak Equity Opportunities Fund, और SBI ELSS Fund जैसे लोकप्रिय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले लोग अक्सर यह मानते हैं कि उनके रिटर्न पर किसी भी प्रकार का टैक्स लागू नहीं होगा। यह मिथक खासतौर पर नए निवेशकों के बीच अधिक देखने को मिलता है, जो Morningstar Mutual Funds या MoneyControl Mutual Fund जैसे प्लेटफॉर्म्स से अपनी जानकारी प्राप्त करते हैं।
हालांकि, सच्चाई यह है कि म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन के कुछ स्पष्ट नियम लागू होते हैं। चाहे आप Best Large Cap Mutual Funds में निवेश कर रहे हों या Arbitrage Funds में, आपको Short-Term Capital Gains (STCG) और Long-Term Capital Gains (LTCG) टैक्स का ध्यान रखना होगा।
वास्तविकता: LTCG और STCG पर टैक्स नियम लागू होते हैं।
म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन मुख्य रूप से आपके निवेश की अवधि और फंड के प्रकार पर निर्भर करता है।
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG)
इक्विटी फंड्स
यदि आपने Axis Blue Chip Fund या DSP Nifty 50 Index Fund जैसे फंड्स में निवेश किया है और उसे एक वर्ष से पहले बेचते हैं, तो आपको 15% का शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
उदाहरण: यदि आपने ₹1 लाख का निवेश किया और एक साल के भीतर ₹1.10 लाख पर बेचा, तो ₹10,000 पर 15% टैक्स लगेगा।
डेब्ट फंड्स
Debt Mutual Funds Returns जैसे फंड्स के लिए, तीन साल से पहले निकासी पर आपकी आय स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG)
इक्विटी फंड्स
एक साल के बाद होने वाले लाभ पर 1 लाख रुपये तक की राशि टैक्स-फ्री होती है। इसके ऊपर 10% LTCG टैक्स लागू होगा।
उदाहरण: यदि Motilal Oswal Flexi Cap Fund Direct Growth में ₹1 लाख निवेश करने पर ₹1.5 लाख का रिटर्न मिलता है, तो ₹50,000 में से ₹40,000 पर 10% टैक्स लगेगा।
डेब्ट फंड्स
तीन साल के बाद इन फंड्स पर 20% टैक्स लगाया जाता है, लेकिन Indexation Benefit मिलता है, जिससे टैक्स बोझ कम हो सकता है।
टैक्स बचाने के तरीके (Ways to Save Tax)
ELSS में निवेश करें
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में SBI ELSS Fund और Tata Ethical Mutual Fund जैसे फंड्स Section 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट प्रदान करते हैं।
इंडेक्सेशन का लाभ उठाएं
यदि आप Nifty Midcap 150 Index या Sensex Index Fund में लंबे समय तक निवेश करते हैं, तो इंडेक्सेशन के कारण आपका टैक्स कम हो सकता है।
SIP का उपयोग करें
SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से निवेश करने पर टैक्सेशन प्लानिंग आसान हो जाती है।
उदाहरण
ICICI Flexi Cap Fund Growth में हर महीने ₹10,000 निवेश करने पर लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न और टैक्स लाभ मिल सकता है।
टैक्सेशन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Reinvestment Plans: यदि आपने Nippon India Gold Savings Fund या Kotak Arbitrage Fund में पुनर्निवेश विकल्प चुना है, तो भी टैक्सेशन नियम लागू होंगे।
- International Mutual Funds: अंतरराष्ट्रीय फंड्स जैसे Morgan Stanley Mutual Funds पर डेब्ट फंड्स की तरह टैक्सेशन होता है।
- Safe Mutual Funds: Best Hybrid Funds और Green Energy Mutual Funds जैसे फंड्स में टैक्सेशन से बचने के तरीके सीमित हैं।
म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स नहीं लगता, यह धारणा पूरी तरह से गलत है। Tax on Mutual Funds से बचने के लिए सही रणनीति बनाना और RupeeVest या MF Central जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध जानकारियों का उपयोग करना जरूरी है।
सही योजना के साथ, आप न केवल टैक्स कम कर सकते हैं बल्कि Best Mid Cap Mutual Funds और Renewable Energy Mutual Funds जैसे विकल्पों से अच्छा रिटर्न भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या म्यूचुअल फंड केवल इक्विटी-आधारित होते हैं ?
मिथक: म्यूचुअल फंड्स में केवल शेयर बाजार में निवेश होता है
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में म्यूचुअल फंड्स को लेकर यह धारणा बहुत प्रचलित है कि इनका सारा निवेश केवल शेयर बाजार (इक्विटी) में होता है। यह मिथक निवेशकों को सही विकल्प चुनने से रोक सकता है।
कई निवेशक मानते हैं कि म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाने का मतलब है केवल जोखिम लेना और शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव वाली प्रकृति का सामना करना।
वास्तविकता: डेब्ट, हाइब्रिड, और गोल्ड फंड्स जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं
वास्तविकता इससे अलग है। म्यूचुअल फंड्स केवल इक्विटी-आधारित नहीं होते। इनमें निवेशकों की जरूरतों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर कई विकल्प होते हैं, जैसे:
डेब्ट फंड्स
डेब्ट फंड्स मुख्यतः सरकारी बांड, कॉर्पोरेट डिबेंचर और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। यह उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं, जो स्थिर रिटर्न चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर, SBI Magnum Gilt Fund और Kotak Manufacturing Fund जैसे डेब्ट फंड्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
हाइब्रिड फंड्स
हाइब्रिड फंड्स इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश करते हैं। यह निवेशकों को जोखिम और रिटर्न का संतुलन प्रदान करते हैं। Edelweiss Aggressive Hybrid Fund और HDFC Multi Asset Fund Direct Growth जैसे फंड्स लोकप्रिय विकल्प हैं।
गोल्ड फंड्स और ETF
जो लोग सोने में निवेश पसंद करते हैं, उनके लिए Nippon India Gold Savings Fund और Nippon Silver ETF जैसे फंड्स मौजूद हैं। ये फंड्स सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं और निवेशकों को भौतिक सोने को संभालने की परेशानी से बचाते हैं।
इंडेक्स और सेक्टरल फंड्स
यदि कोई निवेशक विशेष सेक्टर या इंडेक्स पर भरोसा करता है, तो Nifty 50 Index Fund, Sensex Index Fund, और Kotak Nifty Alpha 50 ETF जैसे विकल्प उपलब्ध हैं।
उदाहरण और विविधता का महत्व
मालिकाना अधिकार (शेयर) और ब्याज-आधारित निवेश (बांड) के बीच का अंतर समझने के लिए, उदाहरण के तौर पर, Axis Blue Chip Fund इक्विटी निवेश के लिए जाना जाता है, जबकि ICICI Flexi Cap Fund Growth विविध निवेश विकल्प प्रदान करता है।
इसके अलावा, International Mutual Funds उन निवेशकों के लिए लाभदायक हैं, जो वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी चाहते हैं। Morningstar Mutual Funds जैसे प्लेटफॉर्म पर इन फंड्स की जानकारी उपलब्ध है।
निवेश योजना का महत्व
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, निवेशकों को अपने उद्देश्यों और जोखिम प्रोफाइल को समझना चाहिए। Mutual Fund Screener जैसे टूल्स और MoneyControl Mutual Fund जैसे प्लेटफॉर्म इस प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड्स का मतलब केवल इक्विटी नहीं है। डेब्ट, हाइब्रिड, गोल्ड और इंडेक्स फंड्स जैसे विकल्प निवेशकों को उनके निवेश लक्ष्यों के अनुसार समाधान प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक सुरक्षित निवेश चाहता है, तो Safe Mutual Funds और Arbitrage Funds को प्राथमिकता दे सकता है।
इसलिए, म्यूचुअल फंड्स को लेकर इस मिथक को दूर करना आवश्यक है कि यह केवल शेयर बाजार तक सीमित हैं। विविध निवेश विकल्पों के साथ, ये उत्पाद सभी प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं।
ULIPs में टैक्स छूट के साथ बेहतर रिटर्न मिलता है ?
मिथक: ULIPs टैक्स और रिटर्न दोनों में सर्वोत्तम हैं
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) को अक्सर ऐसा माना जाता है कि यह निवेश और बीमा दोनों में सर्वोत्तम विकल्प है। इसे टैक्स बचत और उच्च रिटर्न का माध्यम समझा जाता है। कई निवेशक सोचते हैं कि ULIP में पैसा लगाने से उन्हें टैक्स छूट का लाभ मिलेगा और इसके साथ-साथ शेयर बाजार से जुड़ा अच्छा रिटर्न भी मिलेगा।
वास्तविकता: टैक्स छूट है, लेकिन रिटर्न की तुलना अन्य योजनाओं से करें
ULIP योजनाएं निवेश और बीमा का संयोजन होती हैं। हालांकि, यह पूरी तरह सही नहीं है कि ULIPs हमेशा सर्वोत्तम रिटर्न प्रदान करती हैं। आइए इसे विस्तार से समझें:
टैक्स छूट का लाभ
ULIPs सेक्शन 80C और सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स छूट प्रदान करती हैं। इसका मतलब यह है कि आप ULIPs में निवेश की गई राशि पर टैक्स बचा सकते हैं। SBI ULIP Plan, LIC ULIP Plan in Hindi, और Max Life ULIP Plan जैसे विकल्प टैक्स लाभ देने के लिए लोकप्रिय हैं।
उदाहरण
यदि आपने ₹1,50,000 ULIP में निवेश किया है, तो यह राशि आपकी टैक्सेबल आय से घटाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त, मेच्योरिटी राशि भी टैक्स-फ्री हो सकती है, जब तक कि यह तय शर्तों का पालन करती है।
रिटर्न की तुलना
ULIPs में रिटर्न शेयर बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। यह पूरी तरह इक्विटी, डेब्ट या हाइब्रिड फंड्स पर आधारित हो सकता है। हालांकि, ULIPs के रिटर्न को सीधे Mutual Funds जैसे विकल्पों से तुलना करना सही नहीं होगा।
ULIPs के रिटर्न : ULIPs में निवेश का एक हिस्सा बीमा कवर के लिए जाता है। इसके कारण निवेश पर रिटर्न कम हो सकता है।
म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न : Axis Blue Chip Fund, Motilal Oswal Flexi Cap Fund Direct Growth, और SBI Contra Fund Regular Plan Growth जैसे फंड्स अक्सर अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं, क्योंकि इन पर बीमा लागत लागू नहीं होती।
चार्ज और फंड मैनेजमेंट (Chargs and Fund Management)
ULIPs में निवेशकों को ULIP Charges जैसे प्रीमियम एलोकेशन चार्ज, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज और फंड मैनेजमेंट चार्ज का भुगतान करना पड़ता है। ये चार्ज रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
उदाहरण
यदि आप ULIP में ₹1,00,000 का निवेश करते हैं और इसमें 5% का चार्ज है, तो केवल ₹95,000 निवेश के लिए उपयोग होगा। इसके विपरीत, Nippon India Mutual Fund या HDFC Gold Fund Direct Growth में निवेश करने पर इस प्रकार के चार्ज लागू नहीं होते।
लचीलापन और विकल्प
ULIPs और म्यूचुअल फंड निवेश के संदर्भ में ULIPs में बीमा और निवेश को अलग-अलग करने का लचीलापन नहीं होता, जबकि Mutual Fund Screener और RupeeVest जैसे प्लेटफॉर्म पर आप अपनी निवेश योजनाओं को कस्टमाइज़ कर सकते हैं।
ULIPs निवेश और बीमा का संयोजन प्रदान करती हैं और टैक्स छूट का लाभ देती हैं। हालांकि, यदि आपका मुख्य उद्देश्य रिटर्न है, तो Best Mid Cap Mutual Funds, Nifty 50 Index Fund, या Tata Ethical Mutual Fund जैसे विकल्प बेहतर साबित हो सकते हैं।
ULIPs में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपनी वित्तीय जरूरतों और दीर्घकालिक लक्ष्यों का विश्लेषण करना चाहिए। टैक्स छूट एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन बेहतर रिटर्न के लिए विभिन्न योजनाओं की तुलना करना आवश्यक है।