म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार और उनके लाभ (Types of Mutual Funds and Their Benefits)
म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार
हम यह जानते हैं कि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के शेयरों का एक समूह होता है, जिसका स्वभाव इस पर निर्भर करता है की वह शेयर की किस प्रकार का है, और उस शेयर समूह का मुख्य उद्देश्य क्या है।
उस म्यूचुअल फंड में कितना जोखिम है, और कितना लाभ है, उसमे निवेश कितने समय के लिए उचित है, उस फंड से टैक्स की कितनी बचत होती है आदि आदि…….
चूँकि आज शेयर मार्केट में विभिन्न प्रकार के शेयर हैं, इसलिए म्यूचुअल फंड भी कई तरह के होंगे, सेबी (SEBI) ने इन म्यूच्यूअल फंड को निम्न आधार पर बांटा है :
अतः आज के समय में म्यूचुअल फंड निम्न प्रकार के हैं:
- इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund)
- डेट फंड (Debt Fund )
- बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड (Balanced Mutual Fund)
- टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund)
- इंडेक्स फंड (Index Fund)
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund)
जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि वह म्यूच्यूअल फंड जिसमें ऐसे शेयरों का समूह हो, जिनका निवेश किसी कंपनी की इक्विटी में किया गया हो। जिनमें कंपनी की हिस्सेदारी हो।
अतः इन शेयरों से बने हुए म्यूच्यूअल फंड को इक्विटी म्यूच्यूअल फंड कहा जाता है।
सेबी (SEBI) के नियमानुसार, इन स्कीम में, म्यूच्यूअल फंड मैनेजर को कम से कम 65% परसेंट रकम शेयर में ही निवेश करना होता है।
- ये इक्विटी म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण भी मुख्य रूप से निम्न तरह से होता है :
- पूंजी संरचना इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds By Market Capitalisation)
- विविधीकरण (Equity Mutual Funds By Diversification)
- सेक्टर और थीम पर आधारित (Equity Mutual Funds Based on Sector and Theme)
- समाधान म्यूचुअल फंड्स (Mutual Fund Based on Solutions)
डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Funds)
ये वे म्यूचुअल फंड्स हैं, जिनमे निवेश मुख्य रूप से सरकार या किसी कंपनी को उधार देकर किया जाता है, जिससे समुचित रूप से ब्याज मिलता है।
इस तरह के म्यूचुअल फंड से जोखिम बहुत सीमित होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है, कि धन कितने समय के लिए दिया जा रहा है।
इनके भी कुछ प्रकार है जैसे :
- अपने बचत धन को पार्क करना (Park your Savings)
- फिक्स डिपाजिट से अधिक लाभ वाला निवेश (Better than Fixed Deposits)
- लंबी अवधि के लिए कर्ज (Debt for Long Term)
बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड (Balanced Mutual Fund)
इस म्यूच्यूअल फंड का नाम ही अपनी बात कह देता है, इसमें निवेश शेयर और बांड दोनों में होता है।
अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है “बैलेंस्ड फंड में निवेश क्यों करें?”
शेयर जो अधिक जोखिम वाले होते हैं, और इनमें लाभ भी ज़्यादा मिलता है, इसके विपरीत बांड बहुत काम जोखिम वाले होते हैं, और इनमें लाभ भी उसी अनुसार होता है।
एक फंड मैनेजर का कर्तव्य होता है कि वह निवेशक का धन संतुलित आधार पर दोनों कैटेगरी में इस तरह से निवेश करे, कि लाभ समुचित रूप से हो वह भी कम से कम जोखिम के आधार पर।
ये इक्विटी या डेट फंड की तरह नहीं होते हैं। निवेश के जोखिम को कम करने के उद्देश्य से विविधीकरण की विधि से निवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
म्यूच्यूअल फंड के पुनः वर्गीकरण के उद्देश्य से सेबी (SEBI) 2017 में बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फंड केटेगरी को लाया, जिससे विविधीकरण को बढ़ावा मिले।
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Funds)
यह मुख्य रूप से इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड होते हैं, जिसको ELSS (Equity Linked Saving Scheme) कहा जाता है।
इन म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने की शर्त यह होती है, कि इसमें धन 3 वर्षो के लिए लॉक कर दिया जाता है और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट दी जाती है।
ELSS में निवेश किया गया धन मुख्यतः शेयर में ही निवेश किया जाता है, जिसमें जोखिम भी अधिक होता है।
एक प्रश्न हमेशा पूछा जाता है, “क्या म्यूचुअल फंड टैक्स फ्री है?”, इसका उत्तर यहाँ मिल गया होगा।
इंडेक्स फंड या सूचकांक फंड (Index Fund)
सबसे पहले थोड़ा यह समझ लेते हैं, कि “स्टॉक मार्केट इंडेक्स फंड क्या है?”
स्टॉक मार्किट में कई कैटेगरी के शेयर होते हैं, वो अलग-अलग सेक्टर से संबंधित होते हैं। जैसे, ऑटो सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, पावर सेक्टर, आईटी सेक्टर आदि आदि।
अब हरेक सेक्टर के शेयर समूह के लिए कोई मापदंड भी होना चाहिए।
तो हर कैटेगरी के लिए एक मापदंड बना दिया गया है, इसी मापदंड को “सूचकांक” या “इंडेक्स” कहा गया है।
इस सूचकांक या इंडेक्स के ऊपर या नीचे जाने पर यह साफ़ हो जाता है कि, उस कैटेगरी के लगभग ज़्यादातर शेयर ऊपर जा रहे हैं, या नीचे जा रहे हैं।
अतः इंडेक्स के व्यवहार से यह मालूम चलता है कि उस समूह या ग्रुप में और शेयर का क्या हाल है।
इनको “पैसिव फंड ” (Passive Funds) भी कहा जाता है। ये किसी विशेष केटेगरी के शेयर के उतार-चढ़ाव को निरूपित करते हैं।
यदि कोई इंडेक्स फंड ऊपर की और जा रहा है, तो यह समझा जाता है, उस विशेष कैटेगरी के अधिकतम शेयर ऊपर की और जा रहे हैं, यानी लाभ हो रहा है।
विभिन्न म्यूचुअल फंड कंपनियों ने विभिन्न तरह के इंडेक्स फंड भी बनाए हैं, जिनमें अपेक्षाकृत सुरक्षित निवेश किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए,
- ICICI Prudential Nifty 50 Index Fund
- HDFC S&P, BSE Sensex Fund
- UTI Nifty 50 Index Fund
- SBI Nifty Index Fund
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आदि आदि।